Complete Solar System in Hindi | सोलर सिस्टम और इसके Planets

“दुनिया में आये हो तो जीना ही पड़ेगा” और पृथ्वी पर जन्म लिया है तो सोलर सिस्टम पड़ना ही पड़ेगा. खैर, पड़ोगे भी क्यों नहीं सौरमंडल चीज़ ही ऐसी है. अब हिंदी-अंग्रेजी का चक्कर है तो कोई टेंशन वाली बात नहीं है, क्योंकि यहाँ solar system and planets in Hindi और English दोनों में कवर किया जाएगा.

शुरू करने से पहले थोडा सा जान लीजिये कि कहानी कहाँ से शुरू होगी और कहाँ पे विराम दिया जाएगा? तो सबसे पहले जानेंगे की सौरमंडल यानी सोलर सिस्टम कैसे बना? फिर, प्लैनेट्स का फार्मेशन (गठन). फिर उन ग्रहों का हाल-चाल जानेंगे? अंत में सौर मंडल और इसके प्लैनेट्स से जुड़े कुछ इंटरेस्टिंग से फैक्ट्स जानेंगे. फिर…..टाटा कहेंगे.

Formation of Solar System in Hindi (सौर मंडल कैसे बना?):

सोलर सिस्टम के गठन से पहले थोड़ा सा ये जान लो कि यूनिवर्स (ब्रह्माण्ड) का गठन कैसे हुआ?

जवाब है – बिग बैंग थ्योरी (महाविस्फोटक सिधान्त). बिग-बैंग के कारण ही हमारे ब्रह्माण्ड का जन्म हुआ, ऐसा मैं नहीं कह रहा बल्कि बेल्जियम के वैज्ञानिक Georges Lemaître ने 1920 में कहा था.

इनका कहना था कि 13.8 बिलियन (अरब) वर्ष पहले “एक एटम” था, उसमें ”विस्फोट” हुआ और वो फैलता चला गया. मतलब एक पार्टिकल या कण था वो बहुत सारे पार्टिकल्स में बदल गया और फिर वो एक्सपैंड करते चले गए.

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credit – AssignementPoint

एक उदाहरण से समझते हैं – सुगर क्यूब तो आप देखे ही होंगे? तो मान लीजिये कि वो सुगर क्यूब एक atom है. अब एक काम करो उसे अपनी पूरी ताकत के साथ नीचे जमीन पे दे मारो. बन गयी न नॉर्मल चीनी? बस जीतने एरिया में आपके वो चीनी फैली है, वही है universe.

ये उदाहरण आपको अपने दिमाग में एक चित्र बनाने के लिए दिया गया है. असलियत में कोई उस ‘इकाई’ या एटम को पटका नहीं था. उसमें एनर्जी इतनी ज्यादा हो गयी थी कि वो संभल नहीं पाया. और वैज्ञानिकों का तो ये भी कहना है कि चीनी ब्रह्माण्ड अभी भी फ़ैल रहा है.

खैर, चलिए अब universe के थोडा और अन्दर चलते हैं यानी सोलर सिस्टम के फार्मेशन की ओर.

Nebular Hypothesis (नेब्युलर परिकल्पना) –

Solar System का गठन कैसे हुआ? अगर सबसे चर्चित उत्तर की बात की जाए तो वो है नेब्युलर परिकल्पना. 1734 में स्वीडन के साइंटिस्ट Emanual Swedenborg ने इस हाइपोथेसिस को सबसे पहले बताया था. हालांकि 1755 में Immanuel Kant ने इस थ्योरी में थोडा और विस्तार करके इसे पब्लिश किया था.

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Nebula

नेबुलर hypothesis के अनुसार –

बिग-बैंग निपटने के कई सालों बाद, यानी आज से 4.6 बिलियन साल पहले एक और घटना घटी जिससे कि अपना सौरमंडल इस ब्रह्माण्ड में आया. कारण था Nebula (नेब्युला).

Nebula क्या है/था ?

एक घूमता हुआ बादल. और “बादल इम्पोर्टेन्ट हैं “, आपको भी पता है.

खैर, बिग-बैंग से निकली बहुत सारी गैस के मिक्सचर से ही nebula बना था. मतलब एक बादल, जिसमें थी बहुत सारी gases और धूल (cosmic dust).

Nebula में लगने वाले गुरुत्वीय खिंचाव (ग्रेविटेशनल pull) के कारण जो हल्की gases (हीलियम आदि) थी वो उसके केंद्र (सेण्टर) में जमा होने लगी. जिससे उसकी (nebula की) घूमने की गति और तेज़ हो गयी. मतलब fidget स्पिनर वाला मामला हो गया था. जैसे fidget स्पिनर को बीच में प्रैस करो तो उसके घूमने की गति तेज़ हो जाती है.  बस वैसे ही कुछ.

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उसकी गति इतनी तेज़ हो गयी कि वो अजीब सा दिखने वाला बादल अब एक CD की तरह बन चूका था. बिलकुल फ्लैट. अब हुआ ये कि उसमें matter मिलते गए, मतलब उसका mass (द्रव्यमान) बढ़ता गया. फिर ग्रेविटी भी बढती और फलस्वरूप उसकी गति और तेज़ होती गयी.

अब जब गति बढ़ने लगी तो जाहिर है कि temperature (तापमान) भी बढ़ा होगा. और जब तापमान बहुत ज्यादा हो गया तो उसके केंद्र से निकला अपना “सूर्य” माने sun. अब उस sun में इतना ज्यादा temperature बढ़ गया था कि उधर फ्यूज़न चालू हो गया, तो अभी तक चल रहा है. जिस दिन फ्यूज़न बंद, उस दिन सब बंद.

How Planets are formed (ग्रह कैसे बने)?:

Nebula से ही सूरज बना है, इस बात को लेकर वैज्ञानिकों में ज्यादा कोई मतभेद नहीं है. पर जो बाकी के ग्रह कैसे बने थे, इस विषय में ओपिनियन थोडा अलग-अलग हैं.

अगर nebular hypothesis की बात की जाए तो जब सूरज बना तो उसके बाहर जो matter घूम रहे थे वो आपस में मिलने लगे. फिर वक़्त गुजरता गया, पार्टिकल्स मिलते रहे, और यूँ ही घूमते-घूमते वो planets (ग्रहों) में तब्दील हो गए.

Planets सूर्य का चक्कर क्यों लगाते हैं?

Sun की ग्रेविटी की वजह से.

वही उनका बचपन से घूमना कारण है कि आज भी planets सूर्य का चक्कर लगाते हैं, जैसे तब लगाते थे जब वो सिर्फ एक छोटा सा कण थे. मतलब वो आज भी इतने down to sun हैं कि अपने ‘revolutionary’ संस्कार नहीं भूले. समझ रहे हो?

Planetesimal Theory (प्लानेट्सिमल थ्योरी) –

सन 1905 में, Thomas Chamberlin और Forest Ray Moulton ने मिलकर एक थ्योरी दी थी. इसमें उन्होंने कहा था कि सोलर सिस्टम के बाकी planets एक दूसरे sun की वजह से बने थे. मतलब एक सूर्य तो नेब्युला से बना ही था पर वहाँ एक और सूरज था जो उससे भी बहुत बड़ा था.

बड़ा हुआ तो क्या हुआ? बात ये है कि बड़े वाले का ग्रेविटेशनल pull भी बहुत ज्यादा होगा. तो उनका ये कहना था कि, बड़े वाले सूरज के ग्रेविटेशनल पुल के कारण छोटे वाले सूरज से प्लैनेट्स बाहर निकले थे और फिर वो उसके चक्कर काटने लगे. जैसे समुद्र मंथन से चीज़ें निकली थी न? उसी टाइप से.

प्लैनेट्स कैसे बने, इस टॉपिक पर भी ज्यादातर साइंटिस्ट नेब्युलर थ्योरी को ही तवज्जो देते हैं बजाय किसी दूसरी थ्योरी के. हालांकि 100% सच क्या है, ये किसी को पता नहीं.

Arrangement of Planets in सोलर सिस्टम in Hindi:

सूरज बन गया, ग्रह बन गए, पर एक और सवाल था जो ‘विज्ञान प्रेमीयों’ के दिमाग में बहुत घूमता है कि अपना सोलर सिस्टम जैसा है, वैसा क्यों है या कैसे है?

आपने अगर गौर किया हो तो आपको पता होगा की सौर मंडल में कुछ ग्रह rocky (पथरीले) हैं और कुछ सिर्फ गैसेस से भरे पड़े हैं. और अगर और थोडा और सोचेंगे तो पायेंगे कि rocky planets sun के नजदीक हैं और gas वाले उससे बहुत दूर.

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तो इसकी वजह बतायी गई है – सोलर विंड. यानी सूरज से निकालनी वाली हीट. मतलब बहुत ही ज्यादा एनर्जी. और उस एनर्जी से लाइटर गैसेस पे इतना तगड़ा फोर्स लगा कि हल्की गैसेस बहुत दूर चली गयी. उसके आस-पास जो matters पड़े थे, असर उन पर भी पड़ा पर उतना  नहीं.

यही कारण है कि अपने rocky planets (मरकरी, वीनस, अर्थ, और मार्स) सूरज के नजदीक हैं. और gaseous planets (जुपिटर, सैटर्न, यूरेनस, और नेपट्यून) सोलर सिस्टम के बाहर वाले ठन्डे एरिया में फॉर्म हुए.

Planets in our Solar System in Hindi (ग्रहों के नाम):

Solar System में कुल आठ (8) ग्रह हैं. हालांकि, अगर आप यही प्रश्न अगस्त 2006 से पहले पूछते तो जवाब मिलता नौ (9). क्यों? क्योंकि पहले जो planets की लिस्ट थी उसमें Mercury (बुद्ध), Venus (शुक्र), Earth (पृथ्वी), Mars (मंगल), Jupiter (बृहस्पति), Saturn (शनि), Uranus (अरुण), Neptune (वरुण), और Pluto (यम) थे.

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लेकिन 2006 में International Astronomical Union (IUC) ने Pluto को ‘बौना ग्रह’ बताकर इस लिस्ट से बाहर कर दिया.

ग्रहों को मुख्यतः दो समूहों को में बांटा गया है –

  1. Terrestrial Planets (स्थलीय ग्रह)
  2. Giant Planets (विशाल ग्रह)
  1. टेरेस्ट्रियल ग्रह –
  • इन्हें inner planets भी कहा जाता है.
  • इनका साइज़ छोटा होता है.
  • इनकी composition (संरचना) पथरीली है.
  • Mercury, Venus, Earth, एंड Mars.
  1. जायंट ग्रह –
  • इन्हें outer planets भी कहा जाता है.
  • इनका आकार टेरेस्ट्रियल के मुकाबले काफी बड़ा होता है.
  • ये पूरे gas से भरे होते हैं. (मतलब लाइफ असंभव).
  • Jupiter, Saturn, Uranus, and Neptune.

Details about the Planets in Hindi (ग्रहों का विवरण):

Planets की लिस्ट Sun से कौनसा ग्रह सबसे नजदीक है, इस पर बनायी गयी है. यानी mercury से शुरू और neptune पर ख़त्म. बाकी स्कूल में भी इसी क्रम से पढ़े थे, तो थोडा नास्टैल्जिया गए.

(A) Mercury (बुध):

  • Diameter (व्यास) – लगभग 4879.4 km.

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  • सबसे छोटा ग्रह.
  • सूरज के सबसे नजदीक वाला ग्रह.
  • इसका एक साल 88 दिन (पृथवी के हिसाब से) में पूरा होता है. मतलब 88 दिनों में ये सूरज का एक चक्कर पूरा करता हैं.
  • Mercury वैसे ही छोटा है पर दिन-प्रतिदिन और shrink (सिकुड़) रहा है.
  • इसका कोई ”चाँद’ (नेचुरल satellite) नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि इसकी ग्रेविटेशनल ‘शक्ति’ इतनी कमजोर है कि ये चाँद को होल्ड नहीं कर सकती.

(B) Venus (शुक्र):

  • Diameter – 12,104 km.

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  • सबसे ‘hottest’ ग्रह. ऐसी हॉटनेस का भी क्या फायदा जब वहाँ इंसान ही जीवित नहीं रह सकता.
  • शुक्र, सोलर सिस्टम का सबसे चमकीला ग्रह भी है.
  •  इसका एक साल लगभग 225 दिनों में पूरा होता है.
  • mercury की तरह ही इसका भी कोई चंदा मामा नहीं है.
  • ये अपनी एक्सिस पे काउंटर-clockwise घूमता है.

(C) Earth (पृथ्वी):

  • Diameter – 12,742 km.

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  • एक साल पूरा होता है 365.24 दिनों में. Point के बाद वाली संख्याओं का अपना अलग खेल है, तो फिर कभी.
  • पृथ्वी का एक (1) ही चाँद है. (दो होते तो सच में एक कोई तोड़ लाता‘.)
  • जीवन फिलाल यहीं संभव है. ऐसा हमें लगता है.
  • पृथ्वी का rotation धीरे-धीरे धीमा हो रहा है.

(D) Mars (मंगल):

  • Diameter – 6,779 km.

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  • इसे लाल ग्रह भी कहा जाता है. क्योंकि इसकी मिट्टी में आयरन ऑक्साइड की मात्रा ज्यादा है, इस वजह से ये लाल दिखाई देता है.
  • एक समय पर यहाँ भी पानी और हवा हुआ करते थे. आज वहाँ की सतह पर पानी उपलब्ध नहीं है, हालांकि सतह के नीचे सॉलिड फॉर्म में मौजूद है, ऐसे साक्ष्य मिले हैं.
  • मार्स पर ‘जीवन की खोज’ के लिए वैज्ञानिकों ने रोवर्स (रोबोट + व्हीकल) भेज रखे हैं.
    • NASA ने अब तक पाँच (5) rovers मंगल पर भेजे हैं –
      • Sojourner (1997)
      • Spirit & Opportunity (2004) {ये दो अलग-अलग rovers हैं पर एक साथ भेजे गए थे}
      • Curiosity (2012)
      • Perseverance (2021)
  • मंगल का एक साल लगभग 687 दिनों में पूरा होता है.
  • इसके पास दो (2) मून हैं. जिनके नाम हैं – Phobos एंड Deimos.

(E) Jupiter (बृहस्पति):

  • Diameter – 139,820 km.

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  • जुपिटर सोलर सिस्टम का सबसे विशाल ग्रह है.
  • यह अपनी axis पर घूमने वाला fastest planet है.
    • इसका एक पूरा rotation लगभग 10 घंटों में पूरा होता  है. आठ घंटे सोने वालों का तो यहाँ जीना दुश्वार हो जाए.
  • इसका मैग्नेटिक फील्ड (चुंबकीय क्षेत्र) पृथ्वी से 14 गुना ज्यादा शक्तिशाली है.
  • बृहस्पति में अभी तक 79 moons का पता लग चुका है. (ज्यादा भी हो सकते हैं, पता लगेगा तो हम भी अपडेट कर देंगे)
  • जुपिटर के बाहर भी रिंग्स हैं, पर  वो इतनी साफ़ नहीं दिखाई देती जितनी सैटर्न की दिखती हैं.
  • इसका एक साल 4,333 दिनों में पूरा होता है.

(F) Saturn (शनि):

  • Diameter – 116,460 km.

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  • ये सौर मंडल का सबसे दूर वाला ऐसा ग्रह है जिसे नग्न आँखों से धरती से देखा जा सकता है.
  • जुपिटर के बाद दूसरा सबसे बड़ा ग्रह.
  • ये अपनी एक्सिस पे घूमने वाला दूसरा सबसे तेज़ ग्रह है.
    • इसका एक पूरा रोटेशन लगभग 10 घंटे और 34 मिनट्स में पूरा होता है.
  • इसके बाहर भी रिंग्स हैं , जो कि अलग-अलग चीज़ों (जैसे- आइस, कॉस्मिक डस्ट, और रॉक्स) से बनी हुई है.
  • शनि के पास लगभग 82 moons हैं.
  • इसका एक साल 10,759 दिनों में पूरा होता है.

(G) Uranus (अरुण):

  • Diameter – 50,724 km.

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  • यह एक मात्र ऐसा ग्रह है जो अपनी ‘side’ पे घूमता है, मतलब sideways spin करते हुए सूर्य के चक्कर लगता है.
  • इसका एक साल 30,687 दिनों में पूरा होता है.
  • ये सोलर सिस्टम का सबसे ठंडा planet है.
  • Uranus के बाहर भी रिंग का एक सेट है.
  • नंबर of moons – 27.

(H) Neptune (वरुण):

  • Diameter – 49,244 km.

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  • नेप्च्युन की surface gravity (सतह का गुरुत्वाकर्षण) लगभग पृथ्वी जैसी ही है.
  • सौर मंडल का आखिरी ग्रह. Pluto होता तो वो होता, वो नहीं है तो यही है.
  • इसके बाहर भी रिंग्स हैं, टोटल 6 हैं.
  • यहाँ एक साल 60,190  दिनों में पूरा होता है.

ये थे अपने solar system के planets और उनके बारे में कुछ बेसिक जानकारियाँ. अब चलते हैं अपने लास्ट टॉपिक की और जहां आपको अवगत कराया जाएगा सौरमंडल से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों से.

Gods and Color of Planets:

Gods & Colors of Planets:
Planets (ग्रह)Color (रंग)हिन्दू गॉड (Hindu God)रोमन गॉड (Roman God)ग्रीक गॉड (Greek God)
MercuryGrey (ग्रे)बुधMercuryHermes
VenusGrey (ग्रे) और Brown(भूरा) शुक्रVenusAphrodite
MarsRed (लाल) और Brown (भूरा)मंगलMarsAres
Jupiterभूरा, Orange (नारंगी), Tan, और कुछ सफ़ेद धारियां (white stripes)गुरु/बृहस्पतीJupiter/JoveDias
Saturnभूरा, Golden (सुनेहरा), और नीला-ग्रे (blue-grey)शनिSaturnCronus
Uranusनीला-हरा (Blue-green)अरुणCaelusOuranos
NeptuneBlue (नीला)वरुणNeptunePoseidon

Interesting Facts  about the Planets in our Solar System in Hindi:


  • Venus और Uranus ही दो ऐसे ग्रह हैं जो अपनी एक्सिस पर counter-clockwise (ईस्ट to वेस्ट) घूमते हैं.

  • सभी planets एक दिशा में ही sun के चक्कर लगाते हैं.

  • Mercury सूरज के सबसे पास होने के बावजूद सबसे गर्म ग्रह नहीं है. क्योंकि इसका वातावरण (atmosphere) ही कुछ ऐसा है कि गर्मी इसमें टिकती ही नहीं है.

  • सौर मंडल का सबसे बड़ा चाँद है जुपिटर के पास, नाम है – Ganymede. ये आकार में Mercury से भी बड़ा है. इतना ही बड़ा है तो इसे planet घोषित क्यों नहीं कर देते? प्लेनेट का चक्कर बाबु भैया!

  • जिस गति से पृथ्वी का रोटेशन कम हो रहा है, माना जा रहा है कि अगले 140 मिलियन सालों बाद एक दिन 25 घंटे का हो जाएगा.

  • इंसानों में ‘अपुन ही भगवान है’ वाली फीलिंग बहुत शुरू से थी. हमारे पूर्वजों का मानना था कि सोलर सिस्टम में पृथ्वी सेण्टर में स्टेबल है, और बाकी planets पृथ्वी का चक्कर लगा रहे हैं.
    • इतना ही नहीं, जब इटली के खगोल वैज्ञानिक, गैलिलियो, ने बताया कि ऐसा कुछ नहीं है, बल्कि सारे ग्रह सूरज की परिक्रमा करते हैं. तो वहाँ के चर्च वाले offend हो गए और उन्हें जीवन भर के लिए नज़रबंद करने का फरमान सुना दिया था.

  • जुपिटर इतना विशाल है कि अगर सौरमंडल के बाकी 7 ग्रहों को मिलाकर एक बना दिया जाए, फिर भी यह उससे लगभग 2.5 गुना ज्यादा बड़ा होगा.

  • Venus और Moon (हमारा वाला) के बाद, सोलर सिस्टम में सबसे ज्यादा चमकने वाली body है – Jupiter.

  • Mercury, Venus, Mars, Jupiter और Saturn को पृथ्वी से ख़ाली आँखों (naked eye) से देखा जा सकता है.

  • Saturn एक मात्र ऐसा ग्रह है जो पानी में फ्लोट कर सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें मौजूद है लगभग 96% हाइड्रोजन, 3% हीलियम, और 1% कुछ अन्य गैसेस. माने सब हल्का-हल्का ही है.

  • सोलर सिस्टम की खोज करने वाले पहले व्यक्ति थे गैलिलियो. हालांकि ऐसा नहीं था कि इन्होंने ही सब कुछ खोज निकाला था, पर गैलिलियो ने मून, sun, और जुपिटर से जुड़ी जानकारियाँ सबसे पहले बतायी थी. इसके बाद से ही सब अपना-अपना टेलिस्कोप ले के निकल पड़े और हमें नयी-नयी चीज़ों का पता चलता रहा.

बस अब इसका end करते हैं क्योंकि सौरमंडल का तो अपने को कन्फर्म नहीं है. तो मित्रगणों ये था Solar System in Hindi और आशा है कि इसको पढने के बाद आपको सोलर सिस्टम और इसके Planets के बारे में कुछ नया सीखने को मिला हो. 

कुछ मिस्टेक हो तो कमेंट में ज़रूर बताएं. और ‘आशिकों’ से नम्र निवेदन है कि चाँद तोड़ना ही हो तो जुपिटर या सैटर्न का तोड़ लेना, उनके पास बहुत हैं. अन्य जानकारियों के लिए NASA (ऊपर तमाम images का क्रेडिट भी इन्हें ही जाता है ) के पास चले जाओ.

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