पशुपालन – कृषि विज्ञानं की वह शाखा है, जिसके अंतर्गत पालतू पशुओ के विभिन्न पक्षों जेसे – भोजन, आश्रय, स्वास्थ्य, प्रजनन आदि का अध्ययन किया जाता है ।
भारत मे पशुपालन कृषि का आवश्य तथा बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है तथा भारतीय अर्थव्यवस्था मे भी इसका खासा महत्व है । भारत के कुल भोगोलिक क्षेत्रफल का 2.4% तथा कृषि योग्य भूमि का भी 11.29% हिस्सा पशुपालन मे लगा हुआ है । भारत मे कृषि योग्य भूमि का 30% बड़े तथा 70% छोटे सीमांत किसानो के पास है । इन छोटे किसानो सीमांत किसानो के पास कुल पशुधन का 80% है ।

पशुपालन के मुख्य उद्धेश्य
भारत मे विश्व की कुल पशु संख्या लगभग 19% निवास करती है । वर्ष 2012 की पशु गणना के अनुसार देश मे 19.90 करोड़ गाय-बैल तथा 10.87 करोड़ भेसे है । तो आइये देखते है पशुपालन के मुख्य उद्धेशो के बारे मे –
- गेर कृषि योग्य भूमि को पशु उर्जा उपलब्ध कराना ।
- जो भूमि कृषि योग्य नही है उसे पशुपालन के उपयोग मे लाना ।
- कृषि एवं औधयोगिक उपोत्पाद को पशु प्रोटीन में बदलना।
- पशुपालन द्वारा रोजगार उपलब्ध कराना।
- मांस, दूध आदि का उत्पादन बढ़ाकर कृषि पर अतिरिक्त आहार-भार को कम करना।
- पशुओ के मल-मुत्रो से भूमि को उर्वर बनाना ।
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भारत में पशुपालन से सम्बन्धित योजनायें
भारत मे पशुपालन से सम्बंधित कई विकास योजनायें समय-समय पर सरकार द्वारा प्रारम्भ की जाती रहती है, जिसके अच्छे परिणाम निकल रहे है। आज हम कुछ महत्वपूर्ण योजनाओ के बारे मे जानेगे जो निम्नलिखित है –
मूल ग्राम योजना – यह योजना प्रथम पंचवर्षीय योजना काल के दोरान शुरू की गयी थी । इस योजना के अंतर्गत एक गाँव, गाँव का हिस्सा या कही गाँव की 500 प्रजनन योग्य गायों/ भेसो को इकट्टा कर एक मूल ग्राम बनाया गया तथा इस प्रकार के चार मूल ग्रामो को मिलाकर एक मूल ग्राम प्रखंड या ग्राम पशु सुधार खंड बनाया गया। इस योजना का मुख्य उद्धेश्य पशुओ का चहुमुखी विकास करके उनकी उत्पादन क्षमता को बढ़ाना होता है ।
गोशाला विकास योजना – भारत मे गोशालाओ की स्थिति सुधारने हेतु 1949 मे सरकार द्वारा गोशाला विकास बोर्ड की स्थापना की गई। साथ ही गोशालाओ को पशु प्रजनन एवं दुग्ध उत्पादन केन्द्रों का दर्जा दिया।
सघन पशु विकास योजना – दुग्ध उत्पादन को बढ़ाने के उधेश्य से द्वितीय एवं तृतीय पंचवर्षीय योजनाकाल मे मूल ग्राम योजना को एक विस्तृत रूप दिया गया जिसके अंतर्गत 1 लाख प्रजनन योग्य पशु वाले उन क्षेत्रो को चुना गया, जिसमे दूध सयंत्र लगे हुए थे।
दूध बस्ती – मुम्बई के निकट आरे ( Arey ) मे एक दूध बस्ती की स्थापना 1946 मे हुई । यह मिल्क कोलोनी एशिया की विशालतम दूध बस्ती मानी जाती है । यहा पंजीकृत पशुपालको के पास 16000 भेंसे है, जिनसे प्रतिदिन एक लाख लीटर दूध का उत्पादन होता है ।
चारा तथा चारागाह विकास योजना – पशु सुधार के साथ-साथ उनकी पोषण व्यवस्था को व्यवस्थित रखने के उधेश्य से पुरे देश मे ‘चारा तथा चारागाह विकास योजना‘ की शुरुआत की गई।
गोसदन योजना – इस योजना का मुख्य उद्धेश्य अपाहिज एवं वृद्ध पशुओ को अलग करके उन्हें जंगलो मे बने गोसदन मे भेजना है ।
पशुधन बिमा योजना – इस योजना की शुरुआत साधारण बिमा निगम GIC द्वारा की गई है ।
दोस्तों ये कुछ महत्वपूर्ण जानकारी थी पशुपालन से जुडी हुई जो मेने आपके सामने अच्छे से रखने की कोशिश करी है और भी महत्वपूर्ण जानकारी को पढने हेतु हमसे जुड़े रहे ।